महिलाओं के हारमोन असंतुलन

महिलाओं में हार्मोन असंतुलन के लक्षण और उपचार
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शरीर में कुछ असामान्यता जैसे सूजन या फिर असहजता महसूस हो, तो यह हार्मोन के असंतुलन के कारण भी हो सकता है। अलग-अलग मानसिक परिस्थितियों से गुजरने पर शरीर के आंतरिक अंगों में संबंधित हार्मोन का सक्रिय होना सामान्य बात है। साथ ही महिलाओं में प्रेग्नेंसी, मासिक धर्म और मेनोपॉज के समय भी हार्मोन का स्त्राव और बदलाव होता है। लेकिन कभी-कभी कुछ दवाओं या स्वास्थ्य समस्याओं के चलते भी
हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं।
शरीर में हार्मोन्स के असंतुलन को समझने के लिए आपको अपने शरीर के प्रति सजग रहने की जरूरत है। अगर आपको यह लक्षण दिखाई दें या महसूस हों तो यह हार्मोन्स का असंतुलन हो सकता है -
1. महिलाओं में मासिकधर्म की समयावधि में परिवर्तन हार्मोन्स के कारण होता है। सामान्यत: 21 से 35 दिन के अंदर शुरू होने वाला मासिक धर्म, यदि महीनों के अंतराल के बाद हो रहा हो या समय पर नहीं हो रहा हो, तो यह एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन्स की अधिकता या कमी का नतीजा हो सकता है।
इसके अलावा 40 से 50 की उम्र से पहले मेनोपॉज होना और मासिकधर्म का अनियमित होना, पॉलीस्टिक ओवेरियन सिड्रोम के लक्षण हो सकते हैं।
2. अगर आप पर्याप्त नींद नहीं ले पा रहे हैं या फिर नींद होने के बाद भी आप उससे संतुष्ट नहीं हैं तो आपके हार्मोन्स असंतुलित हो सकते हैं। ओवरी से स्त्रावित होने वाला हार्मोन
प्रोजेस्टेरॉन आपको नींद लेने के लिए प्रेरित करता है। यदि इसका स्तर सामान्य से कम होता है, तो आपको नींद न आने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा एस्ट्रोजेन की कमी से रात में पसीना आने की समस्या हो सकती है जिससे आपकी नींद प्रभावित होती है।
3. मासिक धर्म के समय सा उससे पहले चेहरे पर मुंहासों का होना और बाद में ठीक हो जाना सामान्य है। लेकिन यदि यह मुंहासे आपके चेहरे से हटने का नाम ही न लें, तो यह हार्मोन्स का असंतुलन हो सकता है।
खास तौर से मेल हार्मोन एंड्रोजेन, जो महिलाओं और पुरूषों दोनों में पाया जाता है, आपकी तेल ग्रंथि को अत्यधिक सक्रिय कर सकता है, जिससे यह समस्या हो सकती है। इसके अलावा चेहरे पर बाल होना भी इसी का नतीजा हो सकता है।
4. यदि आप हर समय थकान महसूस करते हैं, तो यह सामान्य तौर पर हार्मोन्स के असंतुलन का कारण भी हो सकता है। प्रोजेस्टेरॉन की अधिकता आपको हर समय नींद और थकान महसूस करने के लिए प्रेरित करता है।
वहीं थाइरॉइड ग्रंथि थॉइरॉक्सिन का स्त्राव बहुत कम मात्रा में करती है, तो आप ऊर्जा में कमी महसूस करते हैं।
5. अगर आपका आप अपने स्वभाव में अचानक निराशा, दुख या चिड़चिड़ेपन का अनुभव करते हैं, तो यह एस्ट्रोजेन के स्तर में कमी के कारण भी हो सकता है। यह स्थिति आपको आवश्यकता से अधिक खाने के लिए भी प्रेरित करती है। साथ ही आपका वजन भी तेजी बढ़ सकता है। वहीं कुछ स्थितियों में वजन का तेजी से कम होना भी हार्मोन के असंतुलित होने का लक्षण हो सकता है।
इस असंतुलन के कारण ही तरह-तरह की बीमारियाँ भी परेशान करने लगती हैं। यह बात बेहद जरूरी है कि शरीर में मौजूद हर एक हार्मोन का स्त्राव उचित और जरूरी मात्रा में होता रहे। हार्मोन्स के स्त्राव में आई गड़बड़ी, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ खड़ी करने लगती है।सबसे पहले तो आइये जानते हैं #हार्मोन्स असंतुलन के लक्षणों के बारे में :-
*थकान।
*चिंता तनाव और चिडचिडापन।
*बिना किसी कारण के अचानक बालों का झड़ना।
*अचानक बिना किसी वजह वजन का बढना या कम हो जाना।
*बहुत ज्यादा भूख लगना।
*पसीना आना।
*नींद की कमी।
*कामेच्छा में कमी।
*पाचन सम्बंधी समस्या।
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आइये जानते हैं नेचुरल ढंग से हार्मोन्स को संतुलित रखने के तरीकों के बारे में:
#दालचीनी :-
इंसुलिन के लेवल के गड़बड़ा जाने से डायबिटीज जैसी बीमारियाँ जन्म लेने लगती हैं। दालचीनी में इंसुलिन हार्मोन को संतुलन में रखने के गुण मौजूद होते हैं। इसके साथ ही यह बैड कोलेस्ट्रोल के लेवल को भी कम करने में मदद करती है।
#ओमेगा-3 फैटी एसिड :-
ओमेगा-3 फैटी एसिड में हार्मोन्स को बैलेंस करने के गुण होते हैं। यह रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करता है। शाकाहारी लोग ओमेगा-3 फैटी एसिड को अलसी के बीज, अखरोट, सोया बीन्स, ऑलिव ऑइल से पा सकते हैं जबकि मांसाहारी लोग इसे मछली में पा सकते हैं। और यदि आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह से ओमेगा 3 की गोलियां (medicines) भी ले सकती हैं। हालाँकि ओमेगा-3 का सेवन जब तक कि उचित मात्रा में किया जाये, तब तक ये आपके लिए लाभकारी है, इसकी अधिक मात्रा भी आपके लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
वनस्पति तेल, मूंगफली के तेल, सोयाबीन तेल, केनोला तेल और इसी तरह के अन्य केमिकल फैट का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें। जहाँ तक हो सके नारियल तेल और जैतून तेल (ओलिव आयल) का इस्तेमाल करें।
#कैफीन की मात्रा में कमी कर दें :-
हर किसी को चाय या कॉफ़ी पीना अच्छा लगता है। लेकिन जब तक इसे एक सीमित मात्रा में लिया जाए तब तक इसका सेवन आपके लिए नुकसानदेह नहीं है लेकिन इसकी अधिकता से आपके हार्मोन्स काफी असंतुलित हो सकते हैं। जहाँ तक हो सके कम से कम चाय/कॉफ़ी का सेवन करें। इसकी जगह पर ग्रीन टी या फिर नारियल पानी का इस्तेमाल करना शुरू कर दें।
#नुकसानदायक केमिकल्स से बचें :-
आपके घर में इस्तेमाल किये जाने वाले सफाई के केमिकल्स, प्लास्टिक, कॉस्मेटिक्स और यहाँ तक कि मैट्रेस में भी हार्मोन का संतुलन बिगाड़ने वाले और हार्मोन्स के उत्पादन को कम करने वाले केमिकल्स पाए जाते हैं। जो लोग हार्मोन्स के असंतुलन की समस्या से जूझ रहे हैं, उन्हें जहाँ तक हो सके ऐसी चीज़ों से दूरी बना लेनी चाहिए। जहाँ तक हो सके खाने में प्लास्टिक के बर्तन के इस्तेमाल से बचना चाहिए और सफाई के लिए घरेलू चीज़ों का इस्तेमाल करना चाहिए।
#नारियल का तेल :-
हार्मोन्स को संतुलित करने में नारियल का तेल भी आपकी काफी मदद कर सकता है। नारियल का तेल ब्लड शुगर को स्थिर करने में, वजन कम करने में और इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है इसके साथ ही ये आपको हृदय संबंधी बीमारियों से भी दूर रखता है।
#नींद पूरी लें :-
यदि आप अच्छी नींद नहीं ले रहे/ही हैं, तो हार्मोन असंतुलन का ये भी एक कारण हो सकता है। सोते वक़्त हमारा शरीर टोक्सिंस को बाहर निकालता है और हार्मोन्स का निर्माण करता है। तो यदि ऐसे में आप जरूरत के अनुसार नींद नहीं ले रहे हैं, मतलब कि आप शरीर के काम में अवरोध पैदा कर रहे हैं। जहाँ तक हो सके सही और पर्याप्त नींद लें।
#Vitamin D
विटामिन डी, हार्मोन निर्मित करने वाली पीयूष ग्रंथि (pituitary gland) पर प्रभाव डालता है। ये आपकी भूख और वजन को भी प्रभावित करता है। विटामिन डी के स्त्रोत:
*आप चाहें तो विटामिन डी पाने के लिए कुछ समय धूप में भी बैठ सकते/ती हैं।
*मछली, दूध और अंडे में भरपूर मात्रा में विटामिन डी मिलता है।
*इसके अलावा डॉक्टर कि सलाह पर विटामिन डी के डोज़ भी ले सकती हैं।
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#खानपान की आदतों में बदलाव ले आयें :-
यह पाया गया है कि सही समय पर लिया हुआ भोजन मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया को स्थिर करता है। सबसे पहले सुबह का नाश्ता जरुर करें। खाने के बीच में थोड़े समय का अंतर देते हुए 4-5 बार में अपना आहार लें। और जहाँ तक हो सके ताज़े फलों का सेवन करें। कुछ और अच्छी आदतें अपना लें, जैसे कि:
*जहाँ तक हो सके प्रोसेस्ड फ़ूड से दूरी बना लें।
* वाइट ब्रेड से दूर रहें।
*ज्यादा पानी पियें।
*मीठे और बेकरी आइटम्स से दूरी बना लें।
*एक्सरसाइज करें।
*योग करें।

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