तोरई के फायदे
उम्र से पहले बालों का सफेद होना आजकल आम बात हो गई है। इसकी वजह है लाइफस्टाइल। समय पर ठीक से ना खाना-पीना, सही से नहीं सोना, जंक फूड खाना। आजकल हम आपको बाल काले करने का ऐसा उपाय बता रहे हैं, जो घर पर आसानी से किया जा सकता है। जी हां, तोरी को ऐसे ऐसे उपचारों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ये दर्द देने वाले मस्से भी ठीक करती है।
तोरी के बारे में
तुरई या तोरी एक सब्जी है जिसे लगभग संपूर्ण भारत में उगाया जाता है। तुरई का वानस्पतिक नाम लुफ्फ़़ा एक्युटेंगुला है। तुरई को आदिवासी विभिन्न रोगों के उपचार के लिए उपयोग में लाते हैं। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तमाल भी करते हैं। चलिए आज जानते हैं ऐसे ही कुछ रोचक हर्बल नुस्खों के बारे में।
बाल काले करने के लिए
पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार तुरई के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर छांव में सूखा लें। फिर इन सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रख लें। बाद में इसे गर्म कर लें। इस तेल को छानकर प्रतिदिन बालों पर लगाएं और मालिश करें, इससे बाल काले हो जाते हैं।
मस्से झड़ते हैं
आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबालकर, इसे छान लें। फिर प्राप्त पानी में बैंगन को पका लें। बैंगन पक जाने के बाद इसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से बवासीर में बने दर्द और पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं।
पीलिया समाप्त हो जाता है
पीलिया होने पर अगर रोगी की नाक में 2 बूंद तोरई के फल का रस डाल दें, तो नाक से पीले रंग का द्रव बाहर निकलता है। आदिवासी मानते हैं कि इससे पीलिया रोग जल्दी समाप्त हो जाता है।
लिवर के लिए गुणकारी
आदिवासी जानकारी के अनुसार लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बेहद हितकर होता है। तुरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी गुणकारी होता है।
डायबिटीज़ में फायदा
तुरई में इंसुलिन की तरह पेप्टाइड्स पाए जाते हैं। इसलिए सब्ज़ी के तौर पर इसके इस्तेमाल से डायबिटीज़ में फायदा होता है।
पथरी में आराम
तुरई की बेल को दूध या पानी में घिसकर 5 दिनों तक सुबह शाम पिया जाए, तो पथरी में आराम मिलता है।
दाद, खाज और खुजली से राहत
तुरई के पत्तों और बीजों को पानी में पीसकर त्वचा पर लगाने से दाद, खाज और खुजली जैसे रोगों में आराम मिलता है। वैसे ये कुष्ठ रोगों में भी हितकारी होता है।
पेट दर्द दूर होता है
अपचन और पेट की समस्याओं के लिए तुरई की सब्जी बेहद कारगर इलाज है। डांगी आदिवासियों के अनुसार अधपकी सब्जी पेट दर्द दूर कर देती है
तोरी के बारे में
तुरई या तोरी एक सब्जी है जिसे लगभग संपूर्ण भारत में उगाया जाता है। तुरई का वानस्पतिक नाम लुफ्फ़़ा एक्युटेंगुला है। तुरई को आदिवासी विभिन्न रोगों के उपचार के लिए उपयोग में लाते हैं। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तमाल भी करते हैं। चलिए आज जानते हैं ऐसे ही कुछ रोचक हर्बल नुस्खों के बारे में।
बाल काले करने के लिए
पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार तुरई के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर छांव में सूखा लें। फिर इन सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रख लें। बाद में इसे गर्म कर लें। इस तेल को छानकर प्रतिदिन बालों पर लगाएं और मालिश करें, इससे बाल काले हो जाते हैं।
मस्से झड़ते हैं
आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबालकर, इसे छान लें। फिर प्राप्त पानी में बैंगन को पका लें। बैंगन पक जाने के बाद इसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से बवासीर में बने दर्द और पीड़ा युक्त मस्से झड़ जाते हैं।
पीलिया समाप्त हो जाता है
पीलिया होने पर अगर रोगी की नाक में 2 बूंद तोरई के फल का रस डाल दें, तो नाक से पीले रंग का द्रव बाहर निकलता है। आदिवासी मानते हैं कि इससे पीलिया रोग जल्दी समाप्त हो जाता है।
लिवर के लिए गुणकारी
आदिवासी जानकारी के अनुसार लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बेहद हितकर होता है। तुरई रक्त शुद्धिकरण के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी गुणकारी होता है।
डायबिटीज़ में फायदा
तुरई में इंसुलिन की तरह पेप्टाइड्स पाए जाते हैं। इसलिए सब्ज़ी के तौर पर इसके इस्तेमाल से डायबिटीज़ में फायदा होता है।
पथरी में आराम
तुरई की बेल को दूध या पानी में घिसकर 5 दिनों तक सुबह शाम पिया जाए, तो पथरी में आराम मिलता है।
दाद, खाज और खुजली से राहत
तुरई के पत्तों और बीजों को पानी में पीसकर त्वचा पर लगाने से दाद, खाज और खुजली जैसे रोगों में आराम मिलता है। वैसे ये कुष्ठ रोगों में भी हितकारी होता है।
पेट दर्द दूर होता है
अपचन और पेट की समस्याओं के लिए तुरई की सब्जी बेहद कारगर इलाज है। डांगी आदिवासियों के अनुसार अधपकी सब्जी पेट दर्द दूर कर देती है

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