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छातियों का साइज बढाये

⚫ *ब्रेस्ट ऐनलाजॅमेंट आेइल* ⚫ 🔥 कलौंजी     50 gms 🔥बादाम.       50 gms 🔥 लौंग.        10 gms 🔥तिल तैल.  300 gms 🔥पानी         20 ml सभी चिजो को मिक्स करके ऐक लौहे के पाञ मे रखकर धीमी आंच पर १० -१५ मिनिट तक पकायें | जह पुरां पानी जल जायें तब इसको ठंडा होने दे | आैर ठंडा होने पर छानकर बोटलमें भरदे | इसी तैल से रोज १० मिनिट तक निरंतर २-३ महिने तक मालीश करने से स्तन  की साइज मे फरक महसुस करेंगे ||

बेस्ट इनक्रीज करें

⚫ *ब्रेस्ट ऐनलाजॅमेंट आेइल* ⚫ 🔥 कलौंजी     50 gms 🔥बादाम.       50 gms 🔥 लौंग.        10 gms 🔥तिल तैल.  300 gms 🔥पानी         20 ml सभी चिजो को मिक्स करके ऐक लौहे के पाञ मे रखकर धीमी आंच पर १० -१५ मिनिट तक पकायें | जह पुरां पानी जल जायें तब इसको ठंडा होने दे | आैर ठंडा होने पर छानकर बोटलमें भरदे | इसी तैल से रोज १० मिनिट तक निरंतर २-३ महिने तक मालीश करने से स्तन  की साइज मे फरक महसुस करेंगे ||

दर्द निवारक

*पंसारी से निम्नलिखित चीज 10 - 10 ग्राम की मात्रा में लाये* 1⃣ *थाइमोल (इजमत सत्व)* 2⃣ *मेंथॉल (अजवाइन सत्व)* 3⃣ *भीमसेनी कपूर* अलग अलग पेक करवाके लाये *अब बड़े मुह वाली कांच की 100 ग्राम की बोतल लेकर तीनो चीजो को बोतल में डाल दे, ढक्कन बन्ध करके एक दो बार बोतल हिलाये* कुछ ही मिनिट में सब दवा प्रवाही (लिक्विड) रूप में आजायेगी कुछ बाकी रहे तो बोतल फिर से हिलाये *तब उस बोतल में 50 ग्राम नारियल तेल डालके बोतल बंध करके बराबर मिक्स करले* ____________________________ जहां भी दर्द हो वहाँ आवश्यकतानुसार लेकर हल्के हाथो से मालिस करे *ध्यान रहे स्नायु दर्द में कभी वजन देकर मालिस ना करे* 🔴 *इसके और भी उपयोग जाने* 🔴 स्नायु दर्द, 11 प्रकार के वात दर्द, सर्दी, कफ, शिरदर्द, कमरदर्द, जोडो का दर्द, अधिक सर्दी से होने वाले कफ में 1 ग्लास पानी में दो बून्द मिक्स करके पिए (8 साल से कम उम्र व्यक्ति को पीना नही हे) बस कुछ ही समय में आपकी व्याधि मिटेगी

आँखो की रोशनी बढाए

‬            👁आंखो की रौशनी बढ़ाने👁 👉कौंचबीज         -   50ग्राम 👉सौंफ चूर्ण         -  100ग्राम 👉त्रिफला चूर्ण      -  100ग्राम 👉गिलोय चूर्ण       -  100ग्राम 👉बादाम              -  100ग्राम 👉आंवला चूर्ण      -  50ग्राम 👉मुलेठी चूर्ण        -  50ग्राम 👉सफेद जीरा       -  50ग्राम 👉काली मिर्च        -  25ग्राम 👉छोटी इलायची    -  25ग्राम 👉धागे वाली मिश्री - 600ग्राम 💥सभी को मिलाकर चूर्ण बना लें। 💥सुबह-शाम दो-दो चम्मच चूर्ण देसी गऊ माता के  मिश्री मिले दूध के साथ ले।आँख में डालने के लिए गौमूत्र ही काफी है। 💥10-15दिन के बाद आप की आंखों की रौशनी बढ़ने लगेगी। ☘यह हमारे गुरु जी व् हमारे द्वारा अपनाया गया अनुभूत प्रयोग है। ☘यह आँखों के समस्त रोगों में फायदा करता है। ☘यही ...

शीत पित्त

आजकल जन सामान्य किसी न किसी प्रकार की एलर्जी से ग्रसित है | निम्नलिखित प्रयोग हर तरह की एलर्जी को समूल नष्ट करने की शक्ति रखता है।एलर्जी व शीतपित्त इत्यादि रोगों के लिए शास्त्रोक्त हरिद्रा खण्ड अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ है।लेकिन निम्नलिखित नवीन प्रयोग उससे भी बहेतर है। पवित्र जल-1 लीटर पिसी हुई मिश्री – 400 ग्राम हल्दी का महीन चूर्ण – 300 ग्राम शुद्ध स्वर्ण गैरिक – 200 ग्राम मुलहठी का महीन चूर्ण – 100 ग्राम निर्माण विघि- हल्दी, स्वर्ण गैरिक (सोना गैरु) तथा मुलहठी का चूर्ण आपस में खूब मिला लें । बडें खरल में डालकर वस्त्र से छने जल से घुटाई करें।कुछ दिनों बाद जब मिश्रण विल्कुल सूख जाए तब उसमें पिसी हुयी मिश्री डालकर सुरक्षित रखें।इस दवा का 1 -1 छोटे चम्मच मात्रा प्रतिदिन दिन में तीन बार स्वच्छ जल से 3 बार लेने से किसी भी प्रकार की एलर्जी ,शीतपित्त, रक्तविकार, शरीर की बढ़ी हुयी गर्मी दूर हो जाती है।

गैस खट्टी डकार एसिडिटी

अजवाइन 100 ग्रा काला नमक 10 ग्राम सेधा नमक 10 ग्राम नसादर 10 ग्राम सभी को कुटकर मिला ले । जब गैस बने एसिड अटैक हो । बदहजमी हो एक चुटकी भर लेकर चुसे । एक मिनट के पहले आराम आ जाएगा । गरम पानी से ले

गिलोय के गुण

गिलोय के फायदे शेयर करे जय हिन्द वंदेमातरम् =========================================== इसका वैज्ञानिक नाम है--तिनोस्पोरा कार्डीफोलिया । इसे अंग्रेजी में गुलंच कहते हैं। कन्नड़ में अमरदवल्ली , गुजराती में गालो , मराठी में गुलबेल , तेलगू में गोधुची ,तिप्प्तिगा , फारसी में गिलाई,तमिल में शिन्दिल्कोदी आदि नामों से जाना जाता है। गिलोय में ग्लुकोसाइन ,गिलो इन , गिलोइनिन , गिलोस्तेराल तथा बर्बेरिन नामक एल्केलाइड पाये जाते हैं। अगर आपके घर के आस-पास नीम का पेड़ हो तो आप वहां गिलोय बो सकते हैं । नीम पर चढी हुई गिलोय उसी का गुड अवशोषित कर लेती है ,इस कारण आयुर्वेद में वही गिलोय श्रेष्ठ मानी गई है जिसकी बेल नीम पर चढी हुई हो. गिलोय हमारे यहां लगभग सभी जगह पायी जाती है। गिलोय को अमृता भी कहा जाता है .यह स्वयं भी नहीं मरती है और उसे भी मरने से बचाती है , जो इसका प्रयोग करे . कहा जाता है की देव दानवों के युद्ध में अमृत कलश की बूँदें जहाँ जहाँ पडी , वहां वहां गिलोय उग गई . यह मैदानों, सड़कों के किनारे, जंगल, पार्क, बाग-बगीचों, पेड़ों-झाड़ियों और दीवारों पर लिपटी हुई दिख जाती है। इसकी बेल बड़ी तेजी स...